आईना


सही कहते हैं लोग यह ज़िन्दगी ही है जो किसी के लिए रुकती नहीं…
वक़्त है जो किसी के लिए थमता नहीं…
हार क्या और जीत क्या, हमेशा कुछ सिखा जाती है यह ज़िन्दगी…
आये हैं ख़ुशी के चार पल जीने के लिए…
जी रहे हैं हम भी इन्हें अब किसी को ज़िन्दगी देने के लिए..
वो  कह सकते हैं खूबसूरत, खुशनुमा है यह ज़िन्दगी…
हमारे लिए तो अब भी बेदर्द है मरहम है यह ज़िन्दगी..
कोई पूछे अब हाल मेरा तो बताऊँ …
क्या खूब चर्चे लायी यह ज़िन्दगी..
गुज़र रहा है यह आलम… गुज़र रही है यह ज़िन्दगी…
आज भी देखो… जी रहे हैं इसे मज़े से !!

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